पशु परिचर भर्ती में नॉर्मलाइजेशन पर उखड़े बेरोजगार: 100 अंकों पर चौथी पारी में 11.40 अंक कम हुए, छठी पारी में 24.24 अंकों की बढ़ोतरी

जयपुर। राजस्थान में पशु परिचर भर्ती के परिणामों के बाद बेरोजगार अभ्यर्थियों के बीच भारी नाराजगी देखने को मिल रही है। नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया के तहत विभिन्न पारियों के परिणामों में बड़े अंतर आए हैं, जिससे अभ्यर्थियों में आक्रोश का माहौल बन गया है।

नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया पर उठे सवाल

पशु परिचर भर्ती की परीक्षा 6 विभिन्न पारियों में आयोजित की गई थी। इस परीक्षा में नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया अपनाई गई थी, जिसका उद्देश्य विभिन्न समयों पर आयोजित परीक्षाओं के अंतर को संतुलित करना था। लेकिन इस प्रक्रिया के परिणाम स्वरूप कई अभ्यर्थियों के अंकों में वृद्धि और कुछ के अंकों में कटौती की गई, जिससे परिणाम में असमानता उत्पन्न हुई।

पारीवार परिणाम:

  • पहली पारी: 100 में से 91.37 अंक (8.63 अंक घटे)

  • दूसरी पारी: 100 में से 102.88 अंक (2.88 अंक बढ़े)

  • तीसरी पारी: 100 में से 110.84 अंक (10.84 अंक बढ़े)

  • चौथी पारी: 100 में से 88.60 अंक (11.40 अंक घटे)

  • पाँचवीं पारी: 100 में से 105.45 अंक (5.45 अंक बढ़े)

  • छठी पारी: 100 में से 124.24 अंक (24.24 अंक बढ़े)

आक्रोश का कारण

चौथी पारी के अभ्यर्थियों को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। उनके 100 अंकों में 11.40 अंक की कटौती हुई और उनके कुल अंक 88.60 रह गए। वहीं, छठी पारी के अभ्यर्थियों को सबसे अधिक फायदा हुआ। उनके 100 अंकों पर 124.24 अंक मिले, जिससे यह स्पष्ट होता है कि नॉर्मलाइजेशन की प्रक्रिया ने अंकों के बीच 35 अंकों से अधिक का अंतर उत्पन्न कर दिया है।

इस अंतर के कारण अभ्यर्थी इस प्रक्रिया को निष्पक्ष नहीं मान रहे हैं और बोर्ड की कार्यवाही पर सवाल उठा रहे हैं। बेरोजगार यूनियनों का कहना है कि नॉर्मलाइजेशन के नाम पर यह प्रक्रिया पूरी तरह से गलत है और इसे खत्म किया जाना चाहिए।

बेरोजगारों का आक्रोश

आलोक राज, अध्यक्ष, राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड, ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “हमने नॉर्मलाइजेशन के फार्मूले के तहत परिणाम जारी किए हैं, जिसमें पारी अलॉटमेंट रेंडमली किया गया था। परीक्षा से पहले पारी का निर्धारण लॉटरी के आधार पर हुआ था। हमें जो डेटा मिला, उसके आधार पर हमने परिणाम घोषित किए।”

वहीं, हनुमान किसान, अध्यक्ष, राजस्थान बेरोजगार यूनियन, और राधे मीणा, अध्यक्ष, राजस्थान युवा बेरोजगार महासंघ, का कहना है कि यह पूरी प्रक्रिया गलत है। उन्होंने यह भी कहा कि पारी का निर्धारण रेंडमली नहीं किया जाना चाहिए था, और इस प्रकार की नॉर्मलाइजेशन प्रक्रिया से बेरोजगारों को न्याय नहीं मिल रहा है।

निष्कर्ष

पशु परिचर भर्ती के परिणामों ने राजस्थान के बेरोजगार युवाओं के बीच गहरी नाराजगी पैदा कर दी है। नॉर्मलाइजेशन के नाम पर अभ्यर्थियों के अंकों में जो भिन्नताएँ आई हैं, वे न केवल प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं, बल्कि बेरोजगारों के लिए एक नया मुद्दा भी खड़ा कर रही हैं।

इस स्थिति में आवश्यक है कि भर्ती बोर्ड इस प्रक्रिया को फिर से परखें और एक न्यायसंगत चयन प्रणाली सुनिश्चित करें, ताकि भविष्य में इस प्रकार की नाराजगी और विरोध का सामना न करना पड़े।


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